कहानी 24 साल के संत की
(हस्तिनापुर के बोल)
80 का दशक , जब गोरखपुर में बंदूके चमकनी शुरू हुई थी । गन्ने के खेतों में तमंचे की नाले बननी शुरू हुई । तभी एक दिन एक दुकानदार ने बहस में ही पिस्तौल निकाल ली । छात्रों ने प्रदर्शन शुरू किये। एक लड़का एसएसपी ऑफिस की दीवार पर चढ़ कर चिल्ला रहा था। वही था अजय सिंह बिष्ट। 5 जून 1972 को उत्तराखंड के क्षत्रिय परिवार में जन्मे अजय ने गढ़वाल विश्वविद्यालय से बीएससी की डीग्री ली। फिर पहुँच गया महंत अवैद्यनाथ के शरण में। नामकरण हुआ आदित्यनाथ। नाथ संप्रदाय के गोरक्ष पीठ के वर्तमान महंत है अब यूपी का मुख्य्मंत्री बन चूका है ।
नाथ संप्रदाय का अपना इतिहास है। शंकर के उपासक थे। लेकिन गोरक्ष धाम का अपनी कहानी है।महंत गोरखनाथ ने ग्यारहवीं शताब्दी में गोरखनाथ मठ की नींव रखी थी। वो उदासीन पंथ को मानने वाले थे। कबीरदास भी इनसे प्रभावित थे।मठवाले कबीर से। आज भी कबीरवाणी मठ की दीवारों पर अंकित है। मठ निर्गुण मानने वाला है।मतलब मूर्तिपूजा में यकीन नहीं रखता। पर आज मठ में सिर्फ मूर्तियां ही हैं।गोरखनाथी नेपाल और उत्तरी भारत में बड़े लोकप्रिय हुआ करते थे। काले और नारंगी रंग के कपड़ों में वो गांव-गांव घूमते रहते । गोरखवाणी कहते हैं। लेकिन गोरक्ष नाथ से पहले भी एक गुरु हुआ करते थे। नाम था मोछन्दर ( मत्येंद्र नाथ)।गोरखपुर का गोरखनाथ मठ सैकड़ों एकड़ जमीन में फैला हुआ है। दरअसल आठवीं सदी में मत्सयेंद्र नाथ नाम के एक संत ने नाथ संप्रदाय की शुरुआत की थी।
मत्सयेंद्र नाथ के बाद उनके शिष्य गोरखनाथ ने नाथ संप्रदाय को पूरे देश में संगठित किया था। इस गोरखनाथ मंदिर और मठ की स्थापना भी गोरखनाथ ने ही की थी। ऐसा माना जाता है कि इसी मठ से पूरे देश में नाथ संप्रदाय का विस्तार हुआ है।नाथ संप्रदाय को जाति प्रथा के खिलाफ एक बड़े सामाजिक आंदोलन के तौर पर भी पहचाना जाता है।यही वजह भी है कि सभी धर्मों के लोग नाथ संप्रदाय में योगी हुए हैं।मठ का हिंदूकरण शुरू हुआ 1940 के दशक में। उस वक्त के महंत द्विग्विजयनाथ ने हिंदू महासभा से हाथ मिला लिया और इसके प्रेसिडेंट बने।1948 में महात्मा गांधी की हत्या के आरोपी बने और जेल भी गए। गोरखपुर के ही एक विधानसभा सीट चिल्लूपार के बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी व द्विग्विजयनाथ की लड़ाई बहुत चर्चित हैं। कभी क्षत्रिय बनाम ब्राह्मण के लड़ाई में ये दो ध्रुव हुआ करते थे।मंदिर को राजनीति में लेकर आए अगले महंत अवैद्यनाथ. 1962 में विधायकी जीत गए। फिर जब राम मंदिर का मुद्दा जोर पकड़ने लगा तो वो भाजपा के साथ आ गये।आंदोलन में आगे रहे। 1991 में सांसद भी बन गये।
गोरखनाथ मठ के इंचार्ज महंत अवैद्धनाथ, योगी आदित्यनाथ को अपने साथ गोरखनाथ मठ में ले आए थे।योगी आदित्यनाथ ने भी एक साल तक यहां नाथपंथ की परंपरा के मुताबिक शिक्षा हासिल की. 15 जनवरी 1994 को मठ के महंत अवैद्धनाथ ने उन्हें बाकायदा दीक्षित करके अपना शिष्य बना लिया। इस तरह 22 साल का नौजवान अजय सिंह, योगी आदित्यनाथ बन गया।आदित्यनाथ 1994 में योगी बने लेकिन राजनीति की दुनिया में उन्होंने अपना पहला कदम चार साल बाद 1998 में रखा था। 1998 वें से लेकर अब तक कभी नहीं हारे। मठ के विरोध से राजनीति शुरू करने वाले हरिशंकर तिवारी जैसे लोग भी हार गए। लोग कहते है कि चिल्लूपार से श्मशान बाबा भी योगी के आशीर्वाद से ही जीता था। योगी आदित्यनाथ हिंदू युवा वाहिनी नाम का अपना संगठन भी चलाते हैं। उत्तर प्रदेश के करीब 27 जिलों में फैले अपने इस समानांतर संगठन के चलते भी वो चर्चा में रहे। इसे आप यूपी का MNS समझ सकते हैं। लव जिहाद से लेकर आमिर खान के पुतले फूंकने का काम भी किया करती है। पूर्वांचल के किसी जिला मुख्यालय पर कोई राम राम चिल्ला रहा हो तो समझ जाएं कि हिन्दू युवा वाहनी है।
सदन में रोते बिलखते योगी
सासंद रहे पर कभी मंत्री नहीं बने। अब नया युग आ रहा है और योगी आदित्यनाथ अब मुख्यमंत्री बन रहे हैं।
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