यूपी के बाहुबली ......
(हस्तिनापुर के बोल)
जिन्हें आप बाहुबली कहतें हैं,उन्हें उत्तर प्रदेश में भईया कहा जाता है । वैसे तो तो इन गुंडे छवि वाले नेताओं का इतिहास पुराना है । जरायम की दुनिया से राजनीति में पहली बार कदम रखने वाला शख़्स हरिशंकर तिवारी थे । इस बार भी तथाकथित मोदी लहर में भी कई बाहुबली अपनी जीत सुनिश्चित कर गए । ADR की रिपोर्ट के अनुसार कुल 143 विधायकों ने खुद को दागी बताया है । इसमें 107 पर गंभीर आपराधिक मामलों दर्ज हैं। ऐसे ही लोगों के बारे में हम आपको बताएँगे ।
सबसे पहले बात करेंगे रधुराज प्रताप सिंह उर्फ़ राजा भईया की ।
पुरे उत्तर प्रदेश के चुनाव में केवल तीन निर्दल विधायक चुन कर आए । इसमें भी दो सीट राजा भईया की देंन है । पहली सीट कुंडा जहाँ से वह बीजेपी की जानकी शरण को लगभग 1 लाख 3 हजार वोटों से हराया । वहीं दूसरी सीट बाबागंज की है जहाँ से विनोद सरोज भी राजा भईया की कृपा से जीते आ रहें है । 1993 में पहली बार विधायक बने राजा भईया बसपा की सरकार छोड़ कर सभी सरकारों में मंत्री बने । राजीनीति के कमरे वाले पण्डित भी इन्हें क्षत्रियों के बड़े नेता के रूप में देखते है । प्रतापगढ़ जिले के भदरी स्टेट के राजा उदय प्रताप सिंह के बेटे है । लखनऊ विश्व विद्यालय से मलेट्री साइंस में स्नाकोत्तर राजा भईया पर 24 साल के उम्र में चुनाव लड़ने का आरोप है । 1991 में बना कुंडा विधानसभा में 1993 वें से लगातार चुनाव जीत रहें है । उनके खिलाफ कुंडा के बहार का व्यक्ति चुनाव लड़ता है । एक बार तो उनके जीत पर चुनाव आयोग को विश्वास नहीं हुआ तो उन्हें नज़र बंद करके चुनाव कराया गया । आरोप था कि सारे मत एक क्रम से पड़े थे और जीत कुछ ज़्यादा ही बड़ी थी । उनके जीवन व बेंती की कोठी के बहुत से किस्से है । जब 2002 में मायावती ने बीजेपी विधायक के आरोप पर राजा भईया की कोठी पर छपा मारा तो AK 56 तक निकल आयी । वही के लगभग सौ एकड़ में फैले तालाब को पुलिस ने खोद कर मगरमच्छ औए नर कंकाल मिलाने का दावा किया । उन्हें सरकार ने पोटा एक्ट के तहत आतंकवादी घोषित कर दिया । 21 महीने जेल में बिताने के बाद मुलायम सरकार ने उन्हें सिर्फ जेल से निकलवा बल्कि मंत्री भी बनाया । तब से निर्दली होने के बावजूद वह सपा के साथ रहे । उनके पास एक छोटा जहाज है , उसे भी बिना आदेश उड़ाने का भी आरोप है । उस समय के अधिकारी ने उन पर इसे सड़क पर उतारने का आरोप लगाया ।
कहानियां तो बहुत है । पर जीते क्यों ? यह सवाल तब सही से दिया जा सकता है जब कोई ग्राउंड रिपोर्ट करे । टीवी वालों बहुत तो नहीं घुमें पर युवा पत्रकार कुलदीप सरदार ने घूमा और बहुत लोगों से बात करने की कोशिश की । लेकिन जब कोई यह जवाब दे कि ' माहौल शांति पूर्ण है , राजा भईया जी रहे रहे ' । तो आप को समझ जाना चाहिए कि जीत के क्या कारण थे । बीजेपी से लड़े व 32 हजार वोट पाने वाले जानकी शरण तो उनकी आलोचना करने से डर रहे थे । 5 बजे के बाद से वह प्रचार भी नहीं करते थे । यहाँ कोई समीकरण नहीं होता है बस भय होता है ।
-रजत अभिनय और दिवाकर
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