आखिर कब तक ?
(हस्तिनापुर के बोल )
Photo- Hindu Existence
केरल का नाम पूरे उत्तर भारत में सम्मान से लिया जाता है । हम जैसे उत्तर प्रदेश वालों को लगता है कि उन्हें अंग्रेजी भी बोलनी आती है । आप अगर उत्तर प्रदेश के गांवों में अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय के विज्ञापन देखें तो पता चल जायेगा कि केरल का बोलाबाला है। मेरे खुद के बचप्पन में एक बड़ा विद्यालय इस लिये चल पड़ा क्योंकि वहा कई केरल के टीचर थे । लेकिन पिछले कुछ सालों से वहाँ से आने वाली सुर्खियां इस भौकाल को कम कर रही है । केरल जो कि अब एक मात्र कम्मुनिस्टों का गढ़ है । आज जो संस्थाएं विश्व शांति की तथाकथित प्रचार चला रहे हैं उनकी विचारधारा इनसे मिलाती है । अब आज वहाँ राजनीतिक हिंसा चरम पर है । यह एक तरफा नहीं है । यहाँ सब तलवार लिए घूम रहें हैं , आरएसएस और वामपंथी भी । कभी इधर बम फुट रहा है तो कभी उधर ।
2017 ही में अभी तक दो बार आरएसएस कार्यालय पर बम धमाका हो चूका है । वही कन्नूर जिले में अमूल व इ संतोष जैस आरएसएस कार्यकर्तों की हत्या हो चुकी है । एक रिपॉर्ट के अनुसार 2016 में अब तक 400 प्राथमिकी वामपंथी कार्यकर्तओं पर दर्ज़ हो चुकी है । एक रिपोर्ट के अनुसार 2006 से अब तक कुल राजनीतिक हत्याओं में कुल 105 राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है। इसमें कन्नूर व कोझिकोड दो मुख्य जिले है । कोझिकोड में जिले में आरएसएस कार्यालय पे बम से हमला हुआ , वहीँ कुछ दिन बाद 2 वाम कार्यकर्ताओं की तलवार से काट कर हत्या कर दी गई । इसमें भी वर्तमान मुख्यमंत्री विजयन के गृह जिले में अकेले 42 हत्या हुई है । 2016 तक अभी कन्नूर में लगभग 10 हत्याएं हो चुकी है । मुख्यमंत्री पर इसको अनदेखा करने का आरोप लग चुकी है । वही आरएसएस भी घी डाल रहे है । इसे महीने में आरएसएस के स्थानीय प्रचार प्रमुख कुंदन चंद्रावत ने पी विजयन के सिर पर इनाम रख दिया । आरएसएस पर मंदिरो में असलहे रखने व चलाने की ट्रेनिग देने का आरोप वाम सरकार लगा चुकी है ।ये दोनों तरफ से होने वाले हमले अब पूछ रहे कि आखिर कब तक ?
इन राजनीतिक झगड़े का इतिहास भी पुराना है । 1935 से 1940 के दौर में जब साम्यवाद अपने जोर था , तब मंगलूर के व्यापारी को केरल में व्यापार करने में दिक्कत पैदा हो गई । तब आरएसएस व्यापारियों का मसीहा बन कर उभरा । तभी पूँजीवाद बनाम साम्यवाद , वामपंथ बनाम दक्षिणपंथ और हिन्दू बनाम मुस्लिम हो गया । लल्लनटॉप के अनुसार पहली हत्या रामाकृष्णन की हुई थी , जो कि जनसंघ के नेता थे । लेकिन पिछले 3 सालों में हुई हत्याऐं अब सवाल उठा रही है । केरल के राजनीतिक संस्कृति व केरल सरकार पर । आखिर कब तक ?
केरल का नाम पूरे उत्तर भारत में सम्मान से लिया जाता है । हम जैसे उत्तर प्रदेश वालों को लगता है कि उन्हें अंग्रेजी भी बोलनी आती है । आप अगर उत्तर प्रदेश के गांवों में अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय के विज्ञापन देखें तो पता चल जायेगा कि केरल का बोलाबाला है। मेरे खुद के बचप्पन में एक बड़ा विद्यालय इस लिये चल पड़ा क्योंकि वहा कई केरल के टीचर थे । लेकिन पिछले कुछ सालों से वहाँ से आने वाली सुर्खियां इस भौकाल को कम कर रही है । केरल जो कि अब एक मात्र कम्मुनिस्टों का गढ़ है । आज जो संस्थाएं विश्व शांति की तथाकथित प्रचार चला रहे हैं उनकी विचारधारा इनसे मिलाती है । अब आज वहाँ राजनीतिक हिंसा चरम पर है । यह एक तरफा नहीं है । यहाँ सब तलवार लिए घूम रहें हैं , आरएसएस और वामपंथी भी । कभी इधर बम फुट रहा है तो कभी उधर ।
2017 ही में अभी तक दो बार आरएसएस कार्यालय पर बम धमाका हो चूका है । वही कन्नूर जिले में अमूल व इ संतोष जैस आरएसएस कार्यकर्तों की हत्या हो चुकी है । एक रिपॉर्ट के अनुसार 2016 में अब तक 400 प्राथमिकी वामपंथी कार्यकर्तओं पर दर्ज़ हो चुकी है । एक रिपोर्ट के अनुसार 2006 से अब तक कुल राजनीतिक हत्याओं में कुल 105 राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है। इसमें कन्नूर व कोझिकोड दो मुख्य जिले है । कोझिकोड में जिले में आरएसएस कार्यालय पे बम से हमला हुआ , वहीँ कुछ दिन बाद 2 वाम कार्यकर्ताओं की तलवार से काट कर हत्या कर दी गई । इसमें भी वर्तमान मुख्यमंत्री विजयन के गृह जिले में अकेले 42 हत्या हुई है । 2016 तक अभी कन्नूर में लगभग 10 हत्याएं हो चुकी है । मुख्यमंत्री पर इसको अनदेखा करने का आरोप लग चुकी है । वही आरएसएस भी घी डाल रहे है । इसे महीने में आरएसएस के स्थानीय प्रचार प्रमुख कुंदन चंद्रावत ने पी विजयन के सिर पर इनाम रख दिया । आरएसएस पर मंदिरो में असलहे रखने व चलाने की ट्रेनिग देने का आरोप वाम सरकार लगा चुकी है ।ये दोनों तरफ से होने वाले हमले अब पूछ रहे कि आखिर कब तक ?
इन राजनीतिक झगड़े का इतिहास भी पुराना है । 1935 से 1940 के दौर में जब साम्यवाद अपने जोर था , तब मंगलूर के व्यापारी को केरल में व्यापार करने में दिक्कत पैदा हो गई । तब आरएसएस व्यापारियों का मसीहा बन कर उभरा । तभी पूँजीवाद बनाम साम्यवाद , वामपंथ बनाम दक्षिणपंथ और हिन्दू बनाम मुस्लिम हो गया । लल्लनटॉप के अनुसार पहली हत्या रामाकृष्णन की हुई थी , जो कि जनसंघ के नेता थे । लेकिन पिछले 3 सालों में हुई हत्याऐं अब सवाल उठा रही है । केरल के राजनीतिक संस्कृति व केरल सरकार पर । आखिर कब तक ?
-रजत अभिनय और दिवाकर
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