पोल की डूबकी ......

                      (हस्तिनापुर के बोल )

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पाँच राज्यों के करीब डेढ़ माह तक चले समर का कल अंत हो गया । आज शाम 5:30 से शुरू हुआ ड्रामा जिसे लोकतंत्र की अक्ल में एग्जिट पोल कहते हैं । लोग अपनी गुप्त भावना उनको बताते हैं , ऐसा ( सर्वे एजेंसी व चैनलो) का दावा है । खैर कई सारे चैनलो ने बीजेपी को उत्तर प्रदेश समेत 4 राज्यों में सत्ता तक जाने का आंकड़ा व्यक्त  कर रहे हैं।  यूँ कहे तो पंजाब को छोड़कर जहाँ भी चुनाव हुवे सभी जगह बीजेपी बढ़त बनाती दिख रही है ।  उत्तर प्रदेश में जहाँ सात चरणों में डूबे चुनाव में एबीपी व नील्सन के मुताबिक सपा व बसपा दूसरे स्थान पार आ रही है । वहीँ अखिलेश यादव ने बीबीसी हिंदी से कहा कि वे बसपा के साथ गठबंधन कर सकते हैं । तो क्या वें अपनी हार मान चुके है ।  
इसी प्रकार अन्य राज्यों में 


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         हाँ पंजाब में आप का उदय बता रहा है कि जनता नया नेता ढूढ  रही है । वाही सट्टे बाज़ार की बात करें तो गुजरात का सट्टा बाजार में बीजेपी कक 220 से 250 , सपा को 100 से 103 तथा बसपा को  60 से 62 सीटें दिला रही हैं । दिल्ली का सट्टा बाजार बीजेपी को 250 से 290 तथा सपा को 60 से 80 बसपा को 65 से 68 और वहीं मुम्बई का सट्टा बाजार की बात करें तो बीजेपी को 250 से 300 और सपा को 50 से 90 और बसपा को 30 से 67 सीटें दिया हैं । 
    चाणक्य ने फिर बीजेपी पर दांव लगा कर 285 सीटें थमा दी हैं । इन सभी को छोड़ दे ,यदि बीजेपी की पूर्ण बहुमत नहीं आती है तो इस स्थिति में जनकारों का मानना है कि बीजेपी बसपा गठबंन्धन कर सकते है । परंतु धर्मसंकट यह है कि दोनों विपरीत धुरी है । बसपा ने 97 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार घोषित किये और बीजेपी ने एक भी नहीं दिया । 2 चरणों में खुद को सेक्युलर दिखाने के बाद  जब परिणाम न मिलाता देख बीजेपी ने महारथियों की फ़ौज उतार दिया । आपत्तिजनक वादे करने में कोई कोताही नहीं की गई । अगर बीजेपी बसपा से गठबंधन करता है तो 2019 की चुनाव में गली की घेंघ बन सकता है ।  बार बार वादे को जुमला घोषित करना बीजेपी को महंगा पड़ सकता है ।  खैर एग्जिट पोल के नतीजे सही बनते है तो कहा जा सकता है कि  3 साल का काम , वाक्पटुता और जुमलेबाजी के दाम पर बीजेपी अभी लोगों के दिल में जमी है ।
          - दिवाकर

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