तो क्या अब माया बेचेंगी प्याज ?

                    (विचार अड्डा)



 आप विकीपिडीया में मायावती लिखेंगे तो उत्तर आयेगा मायावती उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री पहिले रहली अब नइखे बाडी। अब त एह के शासन योगी आदित्यनाथ के हाथ मे बाटे।
विधानसभा चुनाव 2017 के परिणाम के बाद जो सबसे ज्यादा बेचैन है उनका नाम है मायावती। उन्होंने चुनाव परिणाम  आने के पहले ही हो हल्ला शुरू कर दिया। कभी इवीएम को लेकर, तो कभी मुसलमान एरिया मे बीजेपी के जीत को लेकर। उनकी बेचैनी जो है वह अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर  है​। क्योकी अब वो न तो विधान परिषद मे जाने लायक है न ही राज्यसभा में। मजे की बाज ये है की कांग्रेस  चाहकर भी उनकी मदद नहीं कर पायेगी। अब देखने बाली बात ये होगी कि जो चुनाव से  पहले  नहीं हुआ  वो  महागठबंधन अब हो  सकता है क्या?  नामुराद युपी ने इतना भी नही दिया की एक अदद सीट  मिल सके। चार बार की मुख्यमंत्री रह चुकी मायवती पहली दलित सीएम थीं।  इनका जन्म 15 जनवरी, 1956 को बादलपुर गौतमबुद्ध नगर मे हुआ। माया ने 1989 विजनौर सुरक्षित सीट  से संसदीय लोकतंत्र  मे इंट्री मारी थी पर अब उनके पास 19 विधायक हैं। सलिके से देखे तो युपी मे राज्यसभा के लिए 37 विधायक और विधानपरिषद के लिय 29। अब देखना ये होगा क्या बुआ भतीजे से उनके चाचा के किये का हर्जाना लेंगी  या नही ? वैसे अपने इस हाल का ज़िम्मेवार उनका खुद का कैडर है।जब वो 2007 मे सत्ता मे आयी तो इन लोगो ने खूब तबाही मचाई।  थाना को घर बना दिया और सारे बुरे धंधे भी यही चलाने लगे। जनता को ये नागवार गुजरा। आज भी जो वोट माया पायी है वही की एक साथ केडर का हैं  जो इसी आस मे है कि फिर कब वो 2007 का मंजर लोगो को दिखा पायेगा? पर एक बात तय है अब माया टिकट नही प्याज बेचेगी।
             -   रजत और दिवाकर

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