थैंक्स फ़ॉर 90 वोट्स .......
(हस्तिनापुर के बोल)
पाँच राज्यों के चुनाव बड़े बड़े लोग हार गए । दो दो मुख्यमंत्री हार गए । कई बाहुबली भी हार गए । लेकिन चुनाव में संघर्ष कैसे हार जाता है , जाति की गणित के आगे संघर्ष का फार्मूला कैसे फ़ेल हो जाता है । यह बताती है 'आयरन लेडी' इरोम शर्मिला की 'थैंक्स फ़ॉर 90 वोट्स ' की कहानी ।
2 नवंबर 2000 को मोलोम के बस अड्डे पर एक महिला खड़ी थी । 10 लोगों को गोलियों से भून दिया जाता है । इसका कथित आरोप असम राइफल्स पर लगता है । मरने वालों में18 वर्ष की चंद्रमनी भी शामिल थी , जिसे भारत सरकार से वीरता पुरस्कार मिला था । इस घटना ने उस महिला को हिला कर रख दिया । 5 नवंबर 2000 से 26 जुलाई 2016 तक लगातार AFSPA ( आर्म्ड फ़ोर्स ( स्पेशल पॉवर) एक्ट 1958) हटाने के लिए सरकार से लड़ती रही । कुछ खाया नहीं , माँ से बात नहीं की , बालों में कंघी नहीं की । 2 अक्टूबर 2006 में 30 महिलाओं ने समर्थन में नंगा हो कर असम राइफल्स के मुख्यालय के बहार प्रदर्शन किया । लेकिन जब यह लड़ाई राजनीति से लड़ने की कोशिश की तो मिले सिर्फ 90 वोट । बड़े - बड़े नेता जो मुख्यमंत्री बने , हार के बाद evm पर सवाल खड़े कर रहे है । तब उस दौर में वह लिखती हैं 'थैंक्स फ़ॉर 90 वोट्स'।
ये शब्द बहुत कुछ प्रश्न खड़े कर जाते हैं । किसकी लड़ाई ,सिर्फ 90 लोगों की? 16 साल का पूरा जीवन ख़त्म कर देना किसके लिए सिर्फ 90 लोगों के लिए ? ईरोम क्यों हार गई इसका विश्लेषण बड़ा ही आसान है । अब अफ्सपा उतना बड़ा मुद्दा नहीं । महिला भी होना एक वज़ह थी । जाति के आधार पर इबोबी सिंह बड़े कद्दावर नेता हैं । जनता इन्हें नेता के रूप में नहीं देखना चाहती है। फिर भी सिर्फ 90 वोट । विडम्बना है कि इससे ज़्यादा वोट तो नोटा पा गया । यूपी और बिहार में तो इससे ज़्यादा वोट तो गलती से डाल दिया जाता है। क्या मणिपुर की जनता इस लायक भी नहीं समझा ? पुरे 16 साल के संघर्ष को 90 वोट ही मिला । यह बात गलत है कि जनता संघर्ष व बदलाव के लिए राजनीतिक विकल्प नहीं चुनती है । आंदोलन से उभरी पार्टी 70 में से 67 सीटें हासिल कर लेती है । असम की छात्र आंदोलन से निकला नेता , मुख्यमंत्री बन जाता है । फिर इस महिला को 90 वोट क्यों ? मीडिया के लोग उनके संघर्ष को
सलाम कर रहे है , लेकिन जनता नहीं कर रही है । बहुत बड़े बड़े नेता चुनाव हारे पर 90 वोट तो नहीं मिला । ये 90 वोट इतिहास लिख गये । शायद अब कोई इतना बड़ी लड़ाई करने से पहले सोचेगा कि आखिर किसके लिए ।
loktantra me ye to aam baat hai
ReplyDeleteWow very nice!!!!
ReplyDeleteइसका मतलब ये भी हो सकता है कि इनकी लड़ाई से जनता का कोई सरोकार न हो, मात्र अपनी जिद के कारण १६ वर्षो तक अड़ी रही।
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