जानिए मध्य प्रदेश के बाग़ी बिहारी को........
अपनी खचड़ी
लोकसभा से 7 बार और राज्यसभा से अब तक दो बार चुने जा चुके जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के संस्थापक शरद यादव की रविवार को पार्टी से औपचारिक विदाई की जाएगी। दरअसल खुद शरद यादव ने एक सभा में कहा था कि उन्हें अपने घर से बेदखल किया जा रहा है। अपने खिलाफ कार्रवाई के लिए मन से तैयार बैठे हैं। बता दें शरद यादव रविवार को जैसे ही राजद की पटना के गांधी मैदान में जन सभा को संबोधित करेंगे, उसी वक्त उन्हें पार्टी से बाहर निकालने का आदेश जारी किया जाएगा। इसके बाद आने वाले दिनों में पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण उनकी सदस्यता रद्द कराने की औपचारिक कार्रवाई शुरू की जायगी। बता दें शरद यादव शनिवार को होने वाले रैली में भाग लेने के लिए पहुंचे थे और साफ़ किया था कि असल जनता दल यूनाइटेड उनके साथ है और पार्टी के महासचिव केसी त्यागी के इस रैली में भाग नहीं लेने के आग्रह को वो ज़्यादा तरजीह नहीं देते है।
दरअसल पार्टी के नेताओं को भी शरद यादव के इस बागी तेवर का अंदाज़ा है, इसलिए रविवार को ही उनके खिलाफ कार्रवाई की घोषणा की जाएगी । शरद यादव के समर्थकों को भरोसा है कि निश्चित रूप से लालू यादव उन्हें अगले साल अपनी पार्टी के टिकट पर राज्य सभा भेजेंगे।
गौरतलब है की शरद और नीतीश के बीच कई सालों से उनके रिश्ते असहज दिख रहे थे। जहां नीतीश ने 2014 में दो बागी उम्मीदवारों और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को उनके समर्थन के लिए शरद के प्रति नाराज़गी का कारण बताया जा रहा है, वही शरद यादव पार्टी अध्यक्ष से हटाए जाने और लालू से रिश्ते खत्म करने के लिए नीतीश के कदम से अपने को अलग थलग पा रहे थे। हालांकि नीतीश इस बात से संतुष्ट है कि बिहार की राजनीति में शरद के कट्टर समर्थक जैसे विजेंदर यादव, दिनेश चरण यादव, और नरेंद्र नारायण यादव जैसे लोगों ने उनसे किनारा कर लिया है, वही केसी त्यागी ने भी नीतीश के साथ रहने में अपने राजनीतिक भविष्य के लिहाज से बेहतरी समझी।
हालांकि सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव इस बात से बहुत खुश दिख रहे है, क्योंकि उनके जीवन में शरद यादव जिस चारा घोटाले को मुद्दा बनाकर उनसे अलग हुए थे.. आज वही उससे कहीं ज़्यादा भ्रष्ट्राचार के गंभीर आरोप लगने के बाद उनके साथ खड़े हैं।
आपको बता दे छात्र राजनीति से लेकर राष्ट्रीय राजनीति को पहचान बनाने वाले शरद यादव ने बिहार की राजनीति में भी बड़ा मुकाम हासिल किया है।मध्य प्रदेश , उत्तर प्रदेश और बिहार में अपना राजनीतिक परचम लहराने वाले शरद यादव बिहार की सत्ताधारी जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष है। सात बार लोकसभा में पहुँचने वाले शरद यादव के राजनीतिक सफर पर एक नज़र....
1 जुलाई 1947 को मध्य प्रदेश के होशंगावाद में एक गांव के किसान परिवार में उनका जन्म हुआ था। पढाई के समय से ही राजनीति में दिलचस्पी रही और 1971 में इंजीनियरिंग की पढाई के दौरान जबलपुर इंजनियरिंग कॉलेज, जबलपुर मध्यप्रदेश में छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। छात्र राजनीति के साथ वह पढाई में भी अव्वल रहे हैं और B.E (सिविल) में गोल्ड मेडल भी जीता है। राम मनोहर लोहिया से प्रभावित होकर शरद यादव ने कई बड़े राजनैतिक अभियानों में हिस्सा भी लिया और फिर इमरजेंसी के समय में MISSA के तहत जेल भी गए। उन्हें पहली बार 1974 में मध्य प्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से संसद चुना गया। 1977 में भी वह इसी लोकसभा सीट के चुनाव जीतकर संसद में पहुचे थे। वर्ष 1986 में वह राज्यसभा से सांसद चुने गए और 1989 में यूपी की बदाऊ लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर तीसरी बार संसद पहुंचे। सन् 1989 -90 में टेक्सटाइल और फ़ूड प्रोसेसिंग मंत्रालय में केंद्रीय मंत्री रहे थे। 1991 से 2014 तक शरद यादव बिहार की मधेपुरा सीट से सांसद रहे और 1993 में उन्हें जनता दल का कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया और 1996 में वह पांचवी बार लोकसभा का चुनाव जीत था। 1977 में उन्हें जनता दल राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। 13 अक्टूबर 1999 को उन्हें नागरिक उड्डयन मंत्रालय का कार्यभार सौपा गया और 1 जुलाई 2001 को वह केंद्रीय श्रम मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री चुने गए। 2004 में वह राज्यसभा से दूसरी बार सांसद बने और गृह मंत्रालय के आलावा कई कमेटियों के सदस्य रहे थे। 2009 में वह 7वी बार सांसद बने और उन्हें शहरी विकास समिति का अध्यक्ष बनाया गया। 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें मधेपुरा सीट पर हार का सामना करना पड़ा।
लोकसभा से 7 बार और राज्यसभा से अब तक दो बार चुने जा चुके जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के संस्थापक शरद यादव की रविवार को पार्टी से औपचारिक विदाई की जाएगी। दरअसल खुद शरद यादव ने एक सभा में कहा था कि उन्हें अपने घर से बेदखल किया जा रहा है। अपने खिलाफ कार्रवाई के लिए मन से तैयार बैठे हैं। बता दें शरद यादव रविवार को जैसे ही राजद की पटना के गांधी मैदान में जन सभा को संबोधित करेंगे, उसी वक्त उन्हें पार्टी से बाहर निकालने का आदेश जारी किया जाएगा। इसके बाद आने वाले दिनों में पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण उनकी सदस्यता रद्द कराने की औपचारिक कार्रवाई शुरू की जायगी। बता दें शरद यादव शनिवार को होने वाले रैली में भाग लेने के लिए पहुंचे थे और साफ़ किया था कि असल जनता दल यूनाइटेड उनके साथ है और पार्टी के महासचिव केसी त्यागी के इस रैली में भाग नहीं लेने के आग्रह को वो ज़्यादा तरजीह नहीं देते है।
दरअसल पार्टी के नेताओं को भी शरद यादव के इस बागी तेवर का अंदाज़ा है, इसलिए रविवार को ही उनके खिलाफ कार्रवाई की घोषणा की जाएगी । शरद यादव के समर्थकों को भरोसा है कि निश्चित रूप से लालू यादव उन्हें अगले साल अपनी पार्टी के टिकट पर राज्य सभा भेजेंगे।
गौरतलब है की शरद और नीतीश के बीच कई सालों से उनके रिश्ते असहज दिख रहे थे। जहां नीतीश ने 2014 में दो बागी उम्मीदवारों और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को उनके समर्थन के लिए शरद के प्रति नाराज़गी का कारण बताया जा रहा है, वही शरद यादव पार्टी अध्यक्ष से हटाए जाने और लालू से रिश्ते खत्म करने के लिए नीतीश के कदम से अपने को अलग थलग पा रहे थे। हालांकि नीतीश इस बात से संतुष्ट है कि बिहार की राजनीति में शरद के कट्टर समर्थक जैसे विजेंदर यादव, दिनेश चरण यादव, और नरेंद्र नारायण यादव जैसे लोगों ने उनसे किनारा कर लिया है, वही केसी त्यागी ने भी नीतीश के साथ रहने में अपने राजनीतिक भविष्य के लिहाज से बेहतरी समझी।
हालांकि सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव इस बात से बहुत खुश दिख रहे है, क्योंकि उनके जीवन में शरद यादव जिस चारा घोटाले को मुद्दा बनाकर उनसे अलग हुए थे.. आज वही उससे कहीं ज़्यादा भ्रष्ट्राचार के गंभीर आरोप लगने के बाद उनके साथ खड़े हैं।
आपको बता दे छात्र राजनीति से लेकर राष्ट्रीय राजनीति को पहचान बनाने वाले शरद यादव ने बिहार की राजनीति में भी बड़ा मुकाम हासिल किया है।मध्य प्रदेश , उत्तर प्रदेश और बिहार में अपना राजनीतिक परचम लहराने वाले शरद यादव बिहार की सत्ताधारी जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष है। सात बार लोकसभा में पहुँचने वाले शरद यादव के राजनीतिक सफर पर एक नज़र....
1 जुलाई 1947 को मध्य प्रदेश के होशंगावाद में एक गांव के किसान परिवार में उनका जन्म हुआ था। पढाई के समय से ही राजनीति में दिलचस्पी रही और 1971 में इंजीनियरिंग की पढाई के दौरान जबलपुर इंजनियरिंग कॉलेज, जबलपुर मध्यप्रदेश में छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। छात्र राजनीति के साथ वह पढाई में भी अव्वल रहे हैं और B.E (सिविल) में गोल्ड मेडल भी जीता है। राम मनोहर लोहिया से प्रभावित होकर शरद यादव ने कई बड़े राजनैतिक अभियानों में हिस्सा भी लिया और फिर इमरजेंसी के समय में MISSA के तहत जेल भी गए। उन्हें पहली बार 1974 में मध्य प्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से संसद चुना गया। 1977 में भी वह इसी लोकसभा सीट के चुनाव जीतकर संसद में पहुचे थे। वर्ष 1986 में वह राज्यसभा से सांसद चुने गए और 1989 में यूपी की बदाऊ लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर तीसरी बार संसद पहुंचे। सन् 1989 -90 में टेक्सटाइल और फ़ूड प्रोसेसिंग मंत्रालय में केंद्रीय मंत्री रहे थे। 1991 से 2014 तक शरद यादव बिहार की मधेपुरा सीट से सांसद रहे और 1993 में उन्हें जनता दल का कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया और 1996 में वह पांचवी बार लोकसभा का चुनाव जीत था। 1977 में उन्हें जनता दल राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। 13 अक्टूबर 1999 को उन्हें नागरिक उड्डयन मंत्रालय का कार्यभार सौपा गया और 1 जुलाई 2001 को वह केंद्रीय श्रम मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री चुने गए। 2004 में वह राज्यसभा से दूसरी बार सांसद बने और गृह मंत्रालय के आलावा कई कमेटियों के सदस्य रहे थे। 2009 में वह 7वी बार सांसद बने और उन्हें शहरी विकास समिति का अध्यक्ष बनाया गया। 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें मधेपुरा सीट पर हार का सामना करना पड़ा।
Comments
Post a Comment