क्या शारद यादव जाने वाले हैं ?
( बकैती )
राजनीतिक गलियारों में उठा- पटक हमेशा से ही रहा है। इसका उदहारण हमें बिहार और गुजरात में देखने को मिला। भले ही गुजरात और बिहार की भौगोलिक दूरी काफी हो पर हाल के वर्षो में दोनों राज्यों में होने वाले राजनीतिक उठा-पटक का असर एक-दूसरे राज्यों पर काफी पड़ता दिखता है।
गौरतलब है कि मंगलवार को गुजरात में राज्यसभा चुनाव में क्या हुआ, इसका परिणाम का सीधा असर बिहार चुनाव के सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड पर दिखने लगा है। आपको बता दे यह लगभग तय माना जा रहा है कि जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष , नीतीश कुमार , शरद यादव को बाहर का रास्ता दिखाने वाले हैं।
दरअसल ये तमाम बातों में तुलना दिखाता है क्योंकि इसका एक नजारा सबसे पहले तब दिखा जब पार्टी के महा- सचिव अरुण श्रीवास्तव को इस आधार पर निलंबित कर दिया गया कि उन्होंने पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार के निर्देश के बावजूद राज्य सभा चुनाव में अपनी मर्जी से पोलिंग एजेंट बहाल किया। बहरहाल अरुण, शरद के करीबी है, ये बात किसी से छिपी नहीं हैं ।
आपको बता दें नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ गठबंधन करने के बाद शरद यादव पहली बार गुरुवार को पटना आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि तीन दिनों तक राज्य के सात जिलों में जनता से सीधा संवाद कार्यक्रम में दो दर्जन से अधिक जगह पर लोगों से मिलेंगे। जनता दाल यूनाइटेड के बिहार इकाई के अध्यक्ष वशिष्ट नारायण सिंह ने साफ़ कर दिया है कि पार्टी का उनके इस कार्यक्रम से कोई लेना देना नहीं है। हालांकि उनके इस पूरे फ़ैसले को पार्टी के खिलाफ बताते हुए वशिष्ट नारायण सिंह ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी ये गतिविधियां अगर जारी रही तब पार्टी भविष्य में कोई भी निर्णय ले सकती है। इसका मतलब साफ़ है कि नीतीश ने देर सबेर अब शरद यादव से राजनैतिक सहयोगी का संबंध विच्छेद करने का अब मन बना लिया है।
हालांकि ये कहा नहीं जा सकता कि शरद पार्टी छोड़ेंगे या पार्टी उनके खिलाफ कार्रवाई कर उनको निलंबित करेगी, यह सब बात निर्भर करता है कि नीतीश कुमार , शरद यादव की राज्य सभा की सदस्यता पर कितना उदार नज़रिया रखते हैं। अगर नीतीश पुराने संबंधो की आड़ में शरद के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई करते हैं तब शरद राज्य सभा के सदस्य बने रह सकते हैं ।
-कुमारी अलका
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