बलात्कार की चीख में भी आनंद आता है..इतने प्रोफ़ेशनल क्यों?
( विचार अड्डा )
'पेशेवर' नहीं लिख रहा हूँ। हिंदी की बखिया उधेड़ते हुए 'प्रोफ़ेशनल ' लिखा रहा हूँ। हम प्रोफ़ेशनल हो चुके हैं इतने कि बस दोहरे मापदंडों पर रोज भावनात्मकता प्रकट कर देतें हैं। पता नहीं कितने मात्रा रोष हम सिर्फ़ इसलिये प्रकट कर रहें हैं कि लाइक और रिट्वीट की आपूर्ति बरकार रहे। समाचार चैनलों ने 15 अगस्त को मोदी जी फ़ुर्सत लेकर एक ख़बर से खेल गए। किसी प्यारी सी बच्ची का बलात्कर हो गया। वह ख़बर थोड़ी देर ही बवाल काटा होगा कि स्व अभिव्यक्ति का विश्वव्यपी मंच 'व्हाट्सएप' पर कुछ नई सोच विचार वाली महिलाएं आक्रोशित होकर बनावटी चेहरे(इमोजी) की लालिमा प्रगट कर दी। बाकि कब वे उसे बाहर आकर वैचारिक बलात्कर को मज़ाक की संज्ञा देकर स्वीकार लेती हैं इसका पता लगना बड़ा ही मुश्किल है।
यूँ तो मैं भी प्रोफ़ेशनल हूँ और ख़बरों से थोड़ी देकर लिए आहत तो होता हूं। इसलिये एक ख़बर आपको बेच रहा हूँ। जियो के इस आधुनिक युग में यह भी मुफ़्त है तो आप इसे लपक कर पढ़ेंगे। उत्तर प्रदेश में एक जिला है 'जौनपुर'। कभी यहाँ से बीजेपी के युग पुरुष पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने अपना पहला और आख़िरी चुनाव हारा था। यह जिला बीजेपी के वर्तमान युग पुरुष मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से सटा हुआ है। इस जिले में एक कस्बा है मड़ियाहूं। कजरी ( पूर्वांचल का लोकगीत) का कार्यक्रम चल रहा था। घर के सभी लोग बाहर थे और 90 साल की बुजुर्ग महिला घर पर थी। एक युवक आता है, महिला का बलात्कर करता है और भाग जाता है। महेन्द्र यादव नाम के व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। इससे ज़्यादा ख़बर किसी भी राष्ट्रीय अख़बार में नहीं छपी है। हालाँकि अब आप इसको लेकर कपड़ा ,नज़र ,नजरिए वाली बौद्धिक बहसों में शामिल ही सकते हैं। मंचो पर तालियां बटोर सकते हैं। उस महिला के समर्थन में जलती मोमबती वाली भेड़चाल का फ़ेसबुक लाइव कर सकते हैं। सवाल भी खड़े कर सकतें हैं। जवाब तो सरकार को खोजना है जब वह गाय गोबर और ट्विटर से एक दिन का समय बचेगा तो कोई कानून बना देगी। मुझे जवाब नहीं चाहिए क्योंकि मैं प्रोफ़ेशनल हूँ। उम्मीद है कि आप भी होंगे और इसे पढ़ कर आँसू टपकने वाले बनावटी चेहरे को ज़रूर चेंप देंगें। साथ ही साथ आप उसे मित्र या महिला मित्र को भेज दिजीए जिसके साथ आपने पिंक फ़िल्म देख कर 'ना' वाले विषय पर ज्ञान दिया हो। बाकि मैं प्रोफ़ेशनल हूँ तो मेरा आक्रोश खत्म हो गया है और अब मैं स्वतंत्रता के नए पैमानें 'पॉर्न' में बलात्कार से चिखती लड़की की आवाज़ का आनन्द लेने जा रहा हूँ.
( लेखक अपना नाम उजागर नहीं करना चाहते हैं। समथिंग सुनल की टीम उनकी निजता का सम्मान करते हुए नाम न देने के लिए खेद प्रगट करती हैं। )
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