अब राज्य सभा से भी समाप्त होता वाममोर्चा

( हस्तिनापुर के बोल )



पश्चिम बंगाल की खबर है जहां के कम्युनिस्ट पार्टियों  का बुरा हाल न सिर्फ विधानसभा में बल्कि राज्यसभा में भी हो रहा है। आपको बता दें राज्यसभा के 60 साल के इतिहास में यह पहला मौका है जब बंगाल की लेफ्ट पार्टी से राज्यसभा चुनाव में एक भी उम्मीदवार नहीं  है। दरअसल ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्यसभा उम्मीदवार विकाश रंजन भट्टाचा र्य का नामांकन सोमवार को ख़ारिज कर दिया जिससे तृणमूल कांग्रेस के पांच और कांग्रेस के एक उम्मीदवार के निर्विरोध निर्वाचित होने का रास्ता साफ़ हो गया है।इसी कारणवस इस बार पश्चिम बंगाल का कोई लेफ्ट उम्मीदवार राज्य सभा में नहीं  जा सकेगा।
इस पर चुनाव आयोग का कहना है कि अधूरे कागजातों की वजह से भट्टाचार्य का नामांकन को खारिज किया गया है।उन्होंने बताया की 28 जुलाई की शाम के 3 बजे डेडलाइन खत्म होने के बाद डॉक्यूमेंट जमा किये और साथ ही अपने नामांकन पत्र के साथ जरुरी हलफनामा भी नहीं  जमा किया।
हालांकि पश्चिम बंगाल से तृणमूल कांग्रेस ने डेरेक ओब्रायन, सुखेद शेखर रॉय, डोला सेन, मानस भुनिया और सांता छेत्री को नामित किया है। वही प्रदीप भट्टाचार्य कांग्रेस के एकमात्र उम्मीदवार है। ममता बनर्जी की पार्टी ने कांग्रेस के उम्मीदवार को अपना समर्थन भी दिया है।

आपको बता दें माकपा के नेता सुजान चक्रवर्ती ने तृणमूल कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा की नामांकन खारिज होने के पीछे षडयंत्र है। उन्होंने कहा की हम इसके लिए क़ानूनी सलाह लेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि यह निर्णय पहले ही ले लिया गया था कि इसे रद्द किया जाएगा। तृणमूल विकाश भट्टाचार्य की उम्मीदवार से भी काफी परेशान थे। फैसला लेने में 48 घंटे लग गए , जिससे यह साबित होता है कि हमारे तर्कों में सच्चाई है। आपको बता दें की माकपा की केंद्रीय समिति ने पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी को तीसरी बार राज्य सभा ना भेजने का फैसला लिया था।


कुमारी अलका



Comments