उच्च न्यायाल ने दिया लव जिहाद के जाँच के आदेश
( मुद्दा )
उच्च न्यायालय ने एक मुसलमान की धर्मांतरित हिंदू महिला से शादी को 'लव जिहाद' करार दिया था। अब उस मामले में उच्च्तम न्यायालय ने गुरुवार (10 अगस्त) केरल पुलिस को आदेश दिया कि वह इस मामले की जांच का ब्योरा एनआइए के साथ साझा करें। हम आपको बता दे यह मामला उच्चत्तम न्यायालय तब पंहुचा जब संबंधित व्यक्ति ने उसकी शादी केरल के उच्च न्यायालय से रद्द होने को चुनौती दी थी।
इस मुद्दे पर अदालत ने कहा कि वह पूरी तफ्शीश से इस मामले को समझेगी और यह जानने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी को बतौर तटस्थ एजेंसी जांच का जिम्मा भी सौपा है और यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या यह खास घटना एक छोटे से इलाके तक ही सीमित है।
हालांकि प्रधान न्यायाधीश न्यागमूर्ति जगदीश सिंह खेहर और न्यायमूर्ति वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने केरल निवासी शफीन जहान के वकील की इस आपत्ति को गंभीरता से लिया की राष्ट्रीय जांच एजेंसी को इस मामले के पुलिस के जांच रिकॉर्ड का अवलोकन नहीं करने दिया जाए।
खबरों की माने तो जहान ने पिछले साल ही दिसंबर में एक हिन्दू महिला से निकाह किया था। इस पर केरल उच्च न्यायालय ने उसके निकाह को रद्द करते हुए कहा था कि इस देश में महिलाओं की स्वतंत्रता का अपमान है। हालांकि हिंदू महिला ने इस्लाम धर्म कबूल करने के बाद जहान से निकाह किया था।
एनआईए के वकील अतिरिक्त सॉ लीसीटर जरनल मनिंदर सिंह ने शीर्ष अदालत से दरख्वास्त की कि एनआईए को राज्य पुलिस द्वारा की गयी जांच के रिकॉर्ड को देखने दिया जाए। दरअसल शीर्ष अदालत ने कहा था कि अगर केंद्रीय जांच एजेंसी केरल पुलिस को निष्पक्ष तरीके से मदद नहीं कर पाएगी यदि उसे जांच रिकॉर्ड नहीं देखने दिया जाता है।
पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि , ' हम पूरी तस्वीर जानना चाहते हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी पर किसी को संदेह क्यों होना चाहिए? क्या आप राष्ट्रीय जांच एजेंसी पर संदेह कर रहे हैं। यदि एनआईए को रिकॉर्ड दिखाया जाता है तो हमें कोई आपत्ति नहीं है'।
यह मामला इतना बड़ा इसलिए हुआ क्योंकि आरोप है कि महिला को सीरिया में इस्लामिक स्टेट के मिशन ने भर्ती किया था और जहान सिर्फ उसके लिए काम करता था। उच्च न्यायालय ने इस निकाह को रद्द और शून्य घोषित करते हुए इसे 'लव जिहाद' का मामला बताया था और राज्य के पुलिस को ऐसे मामलो की जांच करने का आदेश दिया था।
कुमारी अलका
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